tag:blogger.com,1999:blog-1697951901959389638.post3496908134577957460..comments2023-03-22T19:31:15.732+05:30Comments on मेरी कलम से: योरोपीय सभ्यता के 'द्रविड़'Krishna Virendra Trust: कृष्णा वीरेन्द्र न्यासhttp://www.blogger.com/profile/12083949503473789293noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-1697951901959389638.post-85051009417065442512009-12-20T19:50:53.713+05:302009-12-20T19:50:53.713+05:30आदरणीय वीरेन्द्र भाईसाहब जी ,
आपकी समस्त श्रृंखला ...आदरणीय वीरेन्द्र भाईसाहब जी ,<br />आपकी समस्त श्रृंखला का मैं अनुग्रहित पाठक हूँ.मेरी यह योग्यता नहीं की मैं अपना ज्ञान वर्धन करने के अलावा किसी लेख पर विवेचनात्मक टिप्पणी कर पाता .लेकिन यह टिप्पणी इसलिए कर रहा हूँ की अपना आभार प्रदर्शन कर सकूं.मेरा मानना है की पाठ्यक्रमों में परोसा गया इतिहास , अघोषित उद्देश में ,प्रायोजित किया गया साम्राज्यवादी और आरोपित है .कारन समझा जा सकता है . एक तठस्त सत्यपूर्ण विवेचना ,मीमांसा सहित आपके लेखन में साफ़ झलकती है.इसी को इतिहास कहा जा सकता है .आप को नमन .RAJ SINHhttps://www.blogger.com/profile/01159692936125427653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1697951901959389638.post-19175999423037117632009-12-13T19:43:31.799+05:302009-12-13T19:43:31.799+05:30अति उत्तम । मेरे लिए यह जानकारी बिल्कुल नई किंतु म...अति उत्तम । मेरे लिए यह जानकारी बिल्कुल नई किंतु मेरी धारणा के अनुरूप है।Dr. V.N. Tripathi, Advocatehttp://www.vidhiyog.blogspot.comnoreply@blogger.com