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गुरुवार, नवंबर 22, 2007

समय का पैमाने पर मानव जीवन का उदय - सभ्‍यता की प्रथम किरणें एवं दंतकथाऍं

यदि सूर्य की निर्मिति से हम इस पॉच किलोमीटर लंबे काल-पैमाने (time scale) पर यात्रा करें तो लगभग तीन किलोमीटर की सूनी यात्रा के बाद ( आज से लगभग २ x १०^९ वर्ष पहले) सौरमंडल में पृथ्‍वी का जन्‍म दिखेगा। एक किलोमीटर और जाने के पहले ( लगभग १.२० x१०^९ वर्ष पर) दिखेगा कि पृथ्‍वी पर पपड़ी जमकर उसके छिछले गरम पानी के पोखरों में अध:जीवन का कंपन प्रारंभ हुआ। यह आदि जैविक महाकल्‍प का समय है। धीरे-धीरे लसलसी झिल्‍ली तथा काई सरीखे पौधे दिखने लगे, जो जलीय कीट तथा सेवार में बदल गए। अंत से लगभग ५४० मीटर पर ( लगभग ५४ करोड़ वर्ष पहले) ज्‍यों यह काल्‍पनिक यात्री पुराजीवी महाकल्‍प में बढ़ते हैं, सागर में जीवन बढ़ता जाता है और कछुए, मछली आदि की वहॉं भरमार है। लो, अब जीवन-स्‍थल की बढ़ा। उभयचर पृथ्‍वी पर आ चुके हैं और धीरे-धीरे वनस्‍पति एवं जंतु दलदलों और जलमार्गो से स्‍थल में बढ़ रहे हैं। इसी समय उष्‍ण-नम जलवायु में कार्बोनी युग के जंगल दिखते हैं। तब तक हम लगभग सारी यात्रा कर आए हैं, केवल २००-१५० मीटर दूरी पैमाने पर शेष है। बीच के एक प्राय: सूने अंतराल के बाद मध्‍यजीवी महाकल्‍प की जीवन की विपुलता दिखाई देती है जब भीमकाय सरीसृप घूमते हैं और फैले हैं सदाहरित वृक्षों के जंगल। अंत से लगभग १२१.५ मीटर पहले (आज से १.२१५ x१०^८ वर्ष पहले) भारतीय गणना के अनुसार उस ‘कल्‍प’ का प्रारंभ हुआ जो आज तक चला आ रहा है। कुछ वैज्ञानिक इसी समय को जीवन का आरंभ कहते हैं। इसके बाद किसी भयानक दुर्घटना के कारण पृथ्‍वी की धुरी एक ओर झुक जाती है। ग्रीष्‍म एवं शीत ऋतुऍं आरंभ होती हैं और सरीसृप संभवतया इसे सहन न कर सकने के कारण नष्‍ट हो जाते हैं। पून: लगभग सूना अंतराल। और जब जीवन फिर विवधिता में प्रस्‍फुटित होता है तब नूतनजीवी कल्‍प आ गया है; आ गए स्‍तरपायी जीव एवं पक्षी। अब कुछेक करोड़ वर्ष की यात्रा, जो हमारे पैमाने पर १०० मीटर से कम है, ही शेष है। लगभग ३० मीटर की शेष यात्रा पर भयानक भूकंपों से पृथ्‍वी कॉंप उठती है और ऊँची पर्वत-श्रेणियों का निर्माण होता है।

इस पॉंच किलोमीटर की यात्रा में जब केवल दस मीटर की यात्रा रह जाती है तब आता है हिमानी युग। तुलना में इस थोड़ी सी दूरी में उष्‍ण कटिबन्‍ध के आसपास तथा पर्वत रक्षित भारत छोड़कर शेष पृथ्‍वी हिमाच्‍छादन से कई बार कॉंप उठती है। इसी में अवमानव के दर्शन होते हैं। जब लगभग बीस सेंटीमीटर ( दो लाख वर्ष) हमारी मंजिल रह गई तब मानव के दर्शन हुए। और मंजिल से पॉंच सेंटीमीटर पहले नियंडरथल मानव को चतुर्थ हिमाच्‍छादन की क्रूर ठंडक का शिकार बनते देखते हैं। पुरातत्‍व के अनुसार तीन सेंटीमीटर (३०,००० वर्ष) पहले हम दक्षिणी एशिया और अफ्रीका से यूरोप तथा उत्‍तरी एशिया में बढ़ती वनस्‍पति, घास और जंगल के साथ मानव को भी वहॉं जाते देखते हैं। इस विचार से हमारे पैमाने पर मानव सभ्‍यता तीन सेंटीमीटर (३०,००० वर्ष) की, जब से चिंतन प्रभावी हुआ, देन है।


कालचक्र: सभ्यता की कहानी
भौतिक जगत और मानव
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सभ्‍यता की प्रथम किरणें एवं दंतकथाऍं
- समय का पैमाना
२- समय का पैमाने पर मानव जीवन का उदय

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