पर हिमाच्छादनस की बर्फ पिघलने से महासागरों के जल की सतह ऊपर उठने लगी। तभी संभवतया किसी आकाशीय पिंड ने पास आकर भयंकर ज्वार-तरंगे उत्पन्न कीं। फलत: अटलांटिक महासागर का जल पश्चिम से यूरोप और अफ्रीका के बीच की घाटी में फूट निकला। उसने मिट्टी बहा दी। आज भी अटलांटिक महासागर से जिब्राल्टर जलसंधि होकर भूमध्यसागर तल तक एक गहरा गलियारा रूपी महाखड्ड विद्यमान है। वहॉं की सीधी चट्टानों को ‘हरकुलिस’ के स्तंभ (Pillars of Hercules) कहते हैं। हरकुलिस (हरि + कुलि:, बलराम का दूसरा नाम) के साहसिक कार्यों की कहानियॉं विदित हैं। इस महा विपत्ति की कल्पना करें। सारे संसार में ज्वार तरंगे उठीं। पहले थोड़ी धारा में और फिर भयंकर गहराता सागर ‘भूमध्य घाटी’ की झीलों के किनारों की आदिम बस्तियों पर उमड़ पड़ा। शनै:-शनै: वह खारा पानी बस्तियों और पेड़ों के ऊपर पहाड़ों को छूने लगा। वहॉं पनपता सभ्यता का बीज मिट गया और अफ्रीका का यूरोप से स्थल-संबंध टूट गया। अफ्रीकी प्रजातियों का बड़ी मात्रा में यूरोप में निर्गमन समाप्त हुआ। प्रारंभिक मानव इतिहास के कुछ रहस्यों को गर्भ में धारण किए आज भूमध्य सागर लहरा रहा है।
कालचक्र: सभ्यता की कहानी
१- समय का पैमाना२- समय का पैमाने पर मानव जीवन का उदय
३- सभ्यता का दोहरा कार्य
४- पाषाण युग
५- उत्तर- पाषाण युग
६- जल प्लावन
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