जनश्रुतियों का दायरा जीवन से बड़ा और अधिक सुंदर होता है। वे निराधार नहीं गढ़ी गई अपितु सत्यांश ले मानव के अंतर से विकसित हुई हैं। वैसे कभी-कभी किसी बात को या साधारण व्यवहार समझाने के लिए भी कहानियॉं गढ़ी जाती रहीं। इन आश्यायिकाओं में पशु-पक्षी और जड़ वस्तुऍं भी बोलती हैं, मानव समान प्रकृति एवं अनेक स्वरूप धारण करती हैं और मानवीय भावों से प्रेरित होती हैं। ऐसी ‘ईसप की कहानियॉं’ या ‘पंचतंत्र की कथाऍं’ अलग दिखती हैं और सर्वप्रिय एवं प्रचलित होते हुए भी जनश्रुतियों की परंपरा में नहीं हैं।
जनश्रुतियों को पुरातत्वज्ञ कपोल कल्पना कहकर टाल देते थे। उनके अंदर अलौकिक (supernatural) तत्व का समावेश होने से उसे ‘मिथक’ (myth, अर्थात् मिथ्या) कहकर उपेक्षा की जाती थी। इनमें ऐतिहासिक तथ्य हो सकता है, यह दिखाने का श्रेय एक जर्मन व्यापारी हेनरिख श्लीमान को है। उसे आधुनिक पुरातत्व तथा उत्खनन प्रणाली का प्रणेता कहते हैं। हेनरिख श्लीमान नेत्रहीन कवि होमर के प्राचीन महाकाव्य ‘इलियड’ (Iliad) और ‘ओडेसी’ (Odyssey) का प्रेमी था। उसने इन्हें सत्य सिद्ध करने की ठानी।
इलियड यवन कबीलों की वीरगाथा (epic) है। ट्रॉय (Troy) के राजकुमार पेरिस ने एक यवन राजकुमार की पत्नी हेलेन का अपहरण कर लिया। इस पर यवन कबीलों ने ट्रॉय को घेर लिया। पर न नगर का फाटक टूटा और न प्राचीर ही लॉंघी जा सकी। अंत में यवन सेना ने एक चाल चली। एक लकड़ी का खोखला घोड़ा पहिएयुक्त पटले पर जड़ा गया। उसे छोड़ एक दिन यवन अपने जहाजों से चल दिए। ट्रॉय के लोगों ने सोचा कि यवन अपने देवता की मूर्ति छोड़कर निराश हो चले गए। वे उसे खींचकर नगर में लाए तो मुख्य द्वार के मेहराब को कुछ काटना पड़ा। रात्रि को जब ट्रॉय खुशियॉं मना रहा था, खोखली अश्व मूर्ति से यवन सैनिकों ने निकलकर चुपचाप ट्रॉय का फाटक खोल दिया। यवन सेवा, जो पास में जाकर छिप गई थी, ट्रॉय में घुस गई। एक हेलेन के पीछे ट्रॉय नष्ट हो गया। जैसे सीता के पीछे रावण की स्वर्णमयी लंका नष्ट हुई। इसी से अंग्रेजी में ‘द ट्रॉजन हॉर्स’ (The Trojan Horse) का मुहावरा बना। ‘ओडेसी’ मनीषी यवन कप्तान ओडेसस की साहसिक वापसी यात्रा की गाथा है।
होमर वर्णित दंतकथाओं का अध्ययन कर श्लामान ने अनातोलिया ( जिसे अब एशियाई तुर्की कहते हैं) में कुछ स्थानों पर उत्खनन प्रारंभ किया। अंत में एक स्थान पर दबे हुए एक के ऊपर एक बसे नौ ट्रॉय नगर उसने खोज निकाले। उसके बाद यूनान ( Greece) में होमर द्वारा वर्णित ‘टिरीस’ राजप्रासाद तथा अन्य अवशेष खोजे। इस प्रकार उसने इन जनश्रुतियों की ऐतिहासिकता सिद्ध की। काश ! भारतीय पुरातत्वज्ञ श्लीमान से सीखते। राम और कृष्ण के अवशिष्ट चिन्ह सारे देश में फैले हैं। इन ऐतिहासिक महापुरूषों के जीवन का शोध आज तक हम नहीं कर पाए।
कालचक्र: सभ्यता की कहानी
०१- समय का पैमाना०२- समय का पैमाने पर मानव जीवन का उदय
०३- सभ्यता का दोहरा कार्य
०४- पाषाण युग
०५- उत्तर- पाषाण युग
०६- जल प्लावन
०७- धातु युग
०८- राजा उदयन की राजधानी - कौशांबी
०९- पुराने कबीले मातृप्रधान थे
१०- जादू, टोने टुटके से - विज्ञान के पथ पर
११- रिलिजन के लिये हिन्दी में उपयुक्त शब्द - संप्रदाय या पंथ
१२- जनश्रुतियों या दंतकथाओं में भी सत्यता होती है
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