राम की यशोगाथा भारत एवं दक्षिण- पूर्व एशिया की सभी भाषाओं ने गाई है। वह धीरे-धीरे संसार में फैली। आदि कवि वाल्मीकि की वाणी में मर्यादा पुरूषोत्तम राम की छंदबद्ध कथा फूट निकली। यही मर्यादा पुरूषोत्तम राम कंबन की तमिल भाषा में लिखी ‘कंब रामायण’ से लेकर गोस्वामी तुलसीदास की अवधी बोली की ‘रामचरितमानस’ तक के भगवान् राम बने। यह ‘रामचरितमानस’ संसार के साहित्य में एक अद्वितीय और अनुपम ग्रंथ है। जिस समय भारत के भाग्याकाश में घोर निराशा के बादल छाए थे और यह धरा आक्रमणकारियों से पददलित थी, तब इसने राम का स्मरण दिलाकर समाज को जीवंत बनाया। यह कहानी दंतकथा के रूप में बड़े-बूढ़ों द्वारा घर-घर में कही गई। मेरे बचपन में ग्रीष्मावकाश के समय प्रति सायं काल का ग्रामीण अंचल मनौती माने विद्यार्थियों द्वारा इसके पाठ से मुखरित हो उठता था।
नव दुर्गा के त्योहार के समय ग्राम-नगर राम की लीला खेलते। इसकी परिणति विजयादशमी के रावण वध में अथवा दीपावली के दिन राम के राजतिलक में होती है। बृहत्तर भारत में मंचित ये गीतनृत्य-नाटिकाऍं भारत के अतिरिक्त दक्षिण- पूर्व एशिया के अनेक देशों में देखी जा सकती हैं। भारत में पूर्वी हिंद द्वीप समूह (इंडोनेशिया) (जो मुसलिम बहुल देश है) के प्रथम राजदूत अपनी दोनों पुत्रियों ‘जावित्री’ और ‘सावित्री’ के साथ दिल्ली की रामलीला देखने आए। तब बताया कि दोनों पुत्रियॉं किस प्रकार जावा (यव द्वीप) की रामलीला में ऩत्य- अभिनय करती थीं। स्याम (आधुनिक थाईलैंड) के राजाओं की पदवी सदा से ‘राम’ चली आई है। कंबोज (आधुनिक कंबोडिया) के राजघराने यह पदवी धारण करते थे।
दक्षिण-पश्चिम एशिया (middle east) की सभ्यताओं में भी कभी-कभी यह नाम (राम) दिखता है; किंवदंतियों में इस कहानी की छाया और संसार के अनेक रीति-रिवाजों में इसकी अभिव्यक्ति है।
कालचक्र: सभ्यता की कहानी
०१- रूपक कथाऍं वेद एवं उपनिषद् के अर्थ समझाने के लिए लिखी गईं
०२- सृष्टि की दार्शनिक भूमिका
०३ वाराह अवतार
०४ जल-प्लावन की गाथा
०५ देवासुर संग्राम की भूमिका
०६ अमृत-मंथन कथा की सार्थकता
०७ कच्छप अवतार
०८ शिव पुराण - कथा
०९ हिरण्यकशिपु और प्रहलाद
१० वामन अवतार और बलि
११ राजा, क्षत्रिय, और पृथ्वी की कथा
१२ गंगावतरण - भारतीय पौराणिक इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण कथा
१३ परशुराम अवतार
१४ त्रेता युग
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