आज इन साम्राज्यों की, उनके निर्माताओं की विरूदावली से इतिहास के पन्ने भरे पड़े हैं। यह कितना बड़ा धोखा है। उदाहरणार्थ यहूदी राज्य के शासक सुलेमान (Soloman) की न्यायप्रियता, बुद्घिमानी तथा उदारता की कहानियाँ भरी पड़ी हैं पर बाइबिल कहती है कि राज्यारोहण के बाद उसने अपने सभी प्रतिद्वंद्वियों को मरवा डाला। पूर्ववर्ती सम्राट के वैभवपूर्ण जीवन के स्वप्न देखते हुए उसने जनता पर करों और बेगार का बोझ लादा। व्यापार से कमाए धन को भोग-विलास में और अपने लिए राजमहल तथा 'य:वेह' का निजी मंदिर बनवाने में लगाया। कहते हैं कि उसकी ७०० पत्नियाँ और ३०० उपपत्नियाँ थीं। उसके राज्य में प्रतिमास हजारों श्रमिक बलात् 'हिराम' के जंगलों की खदानों में बेगार करने के लिए भेजे जाते थे।
विश्व-विजय का स्वप्न देखने वाले 'महान वीरों' की प्रशंसा की जो कहानियाँ मध्य-पूर्व के इतिहास में बेबिलोनिया (बाबुल) से रोमन साम्राज्य तक हैं, वे क्रूर व नृशंस साम्राज्यों के साये में पलीं और तुच्छ व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा और भोग-विलास के चारों ओर निर्मित हैं। ये कहानियाँ ऎसी मानवता को हिलाने वाली हैं कि उसको सभ्यता कहना उपहास है। जब कभी पादशाही आई और एक व्यक्ति के ऊपर आधारित जीवन-निर्माण हुआ, जैसा सामी सभ्यताओं में साधारणतया हुआ, और कोई नैतिक अंकुश न बना तो एक डाँवाँडोल, असंतुलित स्थिति आई, जहाँ भयाक्रांत शांति के अंदर युद्घ के बीज विद्यमान थे। बेबीलोनिया तथा मध्य-पूर्व विक्रम संवत् की तीसरी शताब्दी तक और उसके बाद भी ऎसे ही साम्राज्यों का रंगमंच रहा। उनकी उथल-पुथल की कहानी व्यापारिक मार्गों की सुरक्षा से उलझी हुयी है।
बैबीलोन के हैंगिंग गार्डन का सोलवीं शाताब्दि का चित्र विकिपीडिया से
बैबिलोनिया साम्राज्य में समाज में वर्ग-भेद उत्पन्न हुआ और तीन वर्ग बने। उच्च वर्ग (अवीलम्), जिसमें उच्च सरकारी पदाधिकारी, जमींदार और व्यापारी आते थे। धीरे-धीरे उनका मापदंड पद अथवा धन न रहा, उसका आधार जन्मना हो गया, जो सुमेर में नहीं था। मध्यम वर्ग (मुस्केनम्) स्वतंत्र नागरिकों का था जिनका स्थान उच्च वर्ग से नीचे था। अधिकांश इसमें सुमेरी थे, जो स्वतंत्र और धनी होने पर भी उच्च वर्ग में सम्मिलित नहीं किए जाते थे। कानून में भी विभेद था। निम्नतम था मानवता का कलंक दास वर्ग, जो अपने स्वामी की संपत्ति थे और बेचे-खरीदे जा सकते थे। इस प्रकार का समाज कम-अधिक मात्रा में सभी साम्राज्यों के संघर्षों के मध्य चलता रहा। हम्मूराबी की प्रसिद्घ विधि-संहिता को पूर्ववर्ती सुमेरी विधि-संहिता का नए राजनीतिक वातावरण में रूपांतर कहा जाता है। पर उसके नियम और दंड कहीं अधिक कठोर हो गए। सामी सभ्यताओं में विवाह एक करार माना जाता था और बिना गवाहो के हस्ताक्षर युक्त अनुबंध के पत्नी को कोई अधिकार न मिलते थे; न ऐसा विवाह वैध ही था।
कालचक्र: सभ्यता की कहानी
भौतिक जगत और मानव
मानव का आदि देश
सभ्यता की प्रथम किरणें एवं दंतकथाऍं
अवतारों की कथा
स्मृतिकार और समाज रचना
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प्राचीन सभ्यताएँ और साम्राज्य
०९ - बैबिलोनिया
बहुत जानकारीपरक
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