कालचक्र: सभ्यता की कहानी
१ संक्षेप में२ प्रस्तावना
३ भौतिक जगत और मानव-१
४ भौतिक जगत और मानव-२
५ भौतिक जगत और मानव-३
६ भौतिक जगत और मानव-४
७ भौतिक जगत और मानव-५
८ भौतिक जगत और मानव-६
९ भौतिक जगत और मानव-७
१० भौतिक जगत और मानव-८
११ भौतिक जगत और मानव-९
१२ भौतिक जगत और मानव-१०
१३ भौतिक जगत और मानव-११
१४ भौतिक जगत और मानव-१२
१५ भौतिक जगत और मानव-१३
१६ भौतिक जगत और मानव-१४
१७ भौतिक जगत और मानव-१५
जिस प्रका बच्चे के अंग-प्रत्यंग उसके माता-पिता तथा उनके पीढियों पुराने पूर्वजों पर निर्भर करते हैं उसी प्रकार वह उनके मनोभावों से प्रभावित संभावनाओं (potentialities) को लेकर पैदा होता है। कर्मवाद का आधार यही है कि हमारा आचरण आने वाले वंशानुवंश को प्रभावित करता है। अत्यंत प्राचीन काल में भारतीय दर्शन में कर्मवाद के आधार पर जिस सोद्देश्य विकास की बात कही गई,उसकेबारे में जीव विज्ञान अभी दुविधा में है। आज के वैज्ञानिक विकास को आकस्मिक एवं निष्प्रयोजन समझते हैं, मानों यह संयोगवश चल रहा हो। जैसे कोई एक अंध प्रेरणा अललटप्पू हर दिशा में दौड़ती हो और अवरोध आने पर उधर जाना बंद कर नई अनजानी जगह से किसी दूसरी दिशा मे फूट निकलती हो।
Uttam likha hai.
जवाब देंहटाएंहांलाकि पहले के भाग नहीं पढ़े फिर भी जानकारी अच्छी है.. पहले वाले भी पढते हैं.
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