कन्फूसियस का चित्र के विकिपीडिया के सोजन्य से |
'जो तोको काँटा बुवै ताहि बोय तू फूल।'
उसके बाद चीन में एक और विविक्त और अलगाव का अध्याय प्रारंभ हुआ। तब उत्तर में लगभग ३००० किलोमीटर लंबी 'चीन की महान दीवार' निर्मित हुयी। तत्कालीन सम्राट यिंग चेंग ने इस धमंड में कि 'इतिहास उसी से प्रारंभ होता है', अतीत के सब चिन्ह मिटाने का आदेश दिया। सभी पुस्तकें और लिखित लकड़ी व बाँस की पाटियाँ जला दी गयीं। विद्वानों एवं दार्शनिकों को मरवा डाला अथवा जीवित दफना दिया। विदेशों से संबंध-विच्छेद कर सोचा कि पहले की सभी विचारधाराओं का अंत हो गया। इस पार्थक्य की कालरात्रि के बाद जब कन्फूसियस और ताओ के विचारों का स्मरण प्रारंभ हुआ तो उनके साथ बौद्घ मत भी लहलहा उठा।
कालचक्र: सभ्यता की कहानी
भौतिक जगत और मानव
मानव का आदि देश
सभ्यता की प्रथम किरणें एवं दंतकथाऍं
अवतारों की कथा
स्मृतिकार और समाज रचना
भौतिक जगत और मानव
मानव का आदि देश
सभ्यता की प्रथम किरणें एवं दंतकथाऍं
अवतारों की कथा
स्मृतिकार और समाज रचना
प्राचीन सभ्यताएँ और साम्राज्य
०९ - बैबिलोनिया१० - कस्सी व मितन्नी आर्य
११ - असुर जाति
१२ - आर्यान (ईरान)
१३ - ईरान और अलक्षेन्द्र (सिकन्दर)
१४ - अलक्षेन्द्र और भारत
१५ - भारत से उत्तर-पश्चिम के व्यापारिक मार्ग
१६ - भूमध्य सागरीय सभ्यताएँ
१७ - मिस्र सभ्यता का मूल्यांकन
१८ - पुलस्तिन् के यहूदी
१९ - यहूदी और बौद्ध मत
२० - जाति संहार के बाद इस्रायल का पुनर्निर्माण
२१ - एजियन सभ्यताएँ व सम्राज्य
२२ - फणीश अथवा पणि
२३ - योरोप की सेल्टिक सभ्यता
२४ - योरोपीय सभ्यता के 'द्रविड़'
२५ - ईसाई चर्च द्वारा प्राचीन यरोपीय सभ्यताओं का विनाश
२६ - यूनान
२७ - मखदूनिया
२८ - ईसा मसीह का अवतरण
२९ - ईसाई चर्च
३० - रोमन साम्राज्य
३१ - उत्तर दिशा का रेशमी मार्ग
३२ - मंगोलिया
३३- चीन
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