रविवार, नवंबर 15, 2009

जाति संहार के बाद इस्रायल का पुनर्निर्माण


पर लगभग अस्सी वर्ष की स्वाधीनता के बाद इस्रायल पुनः रोम के आक्रमण का शिकार बना। इस भीषण युद्घ में हजारों यहूदी मारे गए और बाद में नर-संहार हुआ। रोमन साम्राज्य आने के लगभग दो शताब्दी बाद यहूदियों पर और भी भीषण अत्याचार बरपे गए। उसका वर्णन 'हिंदी विश्वकोश' ने इस प्रकार किया है,
'इसके बाद सन् १३५ ई. में रोम के सम्राट हाद्रियन ने येरूसलम के यहूदियों से रुष्ट होकर एक-एक यहूदी का कत्ल करवा दिया। वहाँ की एक-एक ईंट गिरवा दी और शहर की समस्त भूमि पर हल चलवाकर उसे बराबर करवा दिया। इसके पश्चात अपने नाम पर एक रोमी नगर का उसी स्थान पर निर्माण कराया और आज्ञा दी कि कोई यहूदी इस नए नगर में कदम न रखे। नगर के मुख्य द्वार पर रोम के प्रधान चिन्ह शूकर की एक मूर्ति स्थापित कर दी गयी।'


इन अत्याचारों के कारण यहूदी सारे संसार में बिखर गए। उन्हें उनका देश 'इस्रायल' द्वितीय महायुद्घ के बाद ही प्राप्त हो सका। भारत को छोड़कर दुनिया के सभी देशों ने उनके ऊपर अत्याचार किए। पर अपने पंथ की भावनाओं को संजोए सभी अत्याचार, जिनमें हिटलरी जर्मनी के गैस चैंबर का जाति-संहार (genocide) भी है, उन्होंने सहन किए। द्वितीय महायुद्घ के बाद ही उनकी भूमि (देश) उन्हें प्राप्त हुयी। वहाँ बसने की छूट मिली और मिली स्वतंत्रता, अपने पंथ के अनुसार जीवन बनाने की छूट। सारे संसार से यहूदी इस्रायल में पुनः आकर बसे। उन्होंने प्राचीन मृत कही जाने वाली भाषा इब्रानी को राष्ट्रभाषा के रूप में अपनाया। स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद इस्रायल की स्वतंत्र यहूदी सरकार ने एक श्वेतपत्र (white paper) जारी किया कि किस देश से कितने यहूदी कैसे आकर बसे। उस श्वेतपत्र में उल्लेख है भारत देश का, जहाँ उन पर कभी कोई अत्याचार नहीं हुआ; जहाँ अपने पंथ की मान्यताओं का पालन करते हुए वे भारत के नागरिकों की भाँति रह सके। और है भारत और उस हिंदु संस्कृति के प्रति उनकी श्रद्घांजलि।


इस्रायली संसद - चित्र विकिपीडिया के सौजन्य से

प्राचीन सभ्यताएँ और साम्राज्य

०१ - सभ्यताएँ और साम्राज्य
०२ - सभ्यता का आदि देश
०३ - सारस्वती नदी व प्राचीनतम सभ्यता
०४ - सारस्वत सभ्यता
०५ - सारस्वत सभ्यता का अवसान
०६ - सुमेर
०७ - सुमेर व भारत
०८ - अक्कादी
०९ - बैबिलोनिया
१० - कस्सी व मितन्नी आर्य
११ - असुर जाति
१२ -  आर्यान (ईरान)
१३ - ईरान और अलक्षेन्द्र (सिकन्दर)
१४ - अलक्षेन्द्र और भारत
१५ - भारत से उत्तर-पश्चिम के व्यापारिक मार्ग
१६ - भूमध्य सागरीय सभ्यताएँ
१७ - मिस्र सभ्यता का मूल्यांकन
१८ - पुलस्तिन् के यहूदी
१९ - यहूदी और बौद्ध मत
२० - जाति संहार के बाद इस्रायल का पुनर्निर्माण

1 टिप्पणी:

  1. बेहतरीन प्रयास और बेहद ही उपयोगी जानकारी...मनीषी आपको आभार...

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