हित्ती राज्य की राजधानी हत्तुसा (Hattusa) में शेर दरवाजा का चित्र विकिपीडिया से
ऎसा ही अनातोलिया की मितन्नी जाति का है। उनके देवताओं में मित्र (सूर्य), इंद्र, वरूण और अश्विनीकुमार (नासत्य-द्वय) हैं। उनके अंक भारत की याद दिलाते हैं। उनका अश्व-पालन पर ग्रंथ अब तक उपलब्ध है। अपने उत्कर्ष के समय उनके राजा दुश्रत्त (दशरथ) ने वंशजों के विवाह संबंध मिस्री राजाओं के साथ किए। समानता के आधार पर संधियाँ कीं। संभवतया हित्ती और मितन्नी शासक वर्ग 'आर्य' थे और उनमें सामी जातियों का सम्मिश्रण हो गया था। अनातोलिया के प्राचीन जीवन में स्पष्ट ही दो जातियाँ दिखती हैं। कम-से-कम उनमें एक जाति भारतीय जीवन-पद्घति से प्रभावित थी और भारतीय देवताओं, रीति-रिवाजों से भी। परंतु चाहे जो हो, हित्ती और मितन्नी जातियाँ बबिलोनिया के पूर्ण सामीकृत जीवन में कुछ बदल न ला सकीं। जैसा अनेक बार सामी राजघरानों में होता आया, दुश्रत्त को उसके पुत्रों ने ही मार डाला। अंत में असुर देश (Assyria) (आधुनिक सीरिया) स्वतंत्र हो गया।
कालचक्र: सभ्यता की कहानी
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सभ्यता की प्रथम किरणें एवं दंतकथाऍं
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स्मृतिकार और समाज रचना
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प्राचीन सभ्यताएँ और साम्राज्य
०९ - बैबिलोनिया१० - कस्सी व मितन्नी आर्य
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बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारियाँ. हम कृतज्ञ हैं.
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