रविवार, फ़रवरी 08, 2009

विधि का विकास स्थिति (या पद) से संविदा की ओर हुआ है

इसी प्रकार 'जल' तो प्राणिमात्र को देना होगा। प्यासे को ना नहीं करेंगे, क्योंकि यह उसका स्वत्व है। यही कारण है कि जल का मूल्य अथवा प्रतिदान नहीं लिया जाता था। कोई नगरपालिका अथवा शासन जल-कर (water rate) नहीं लगा सकता था। इसीलिए कुएँ, बावली और पशुओं के लिए सड़कों के किनारे चरही आदि बनाना पुण्य का कार्य है।




इलाहाबाद संगम से जमुना पुल

इसी प्रकार यह 'धरती', रहने के लिए भूमि की घोंषणा है, और 'आकाश' एक छत या आश्रय की। प्राणिमात्र ने पृथ्वी पर जन्म पाया है, इसलिए उसे धरती, रहने का स्थान देना ही होगा। उसके प्राकृतिक वास को छीनेंगे नहीं। सभी वन्य पशुओं के लिए उनका प्राकृतिक वास मानव को छोड़ना होगा। यह सबके सह-अस्तित्व की कल्पना है। मानव ने भी जन्म लिया है, इसलिए उसे २ X३ मीटर धरती तो देनी ही होगी और एक छाजन से पूर्ण आश्रय-स्थान (आकाश)।


हैनरी मैन का यह चित्र  विकिपीडिया से

उन्नीसवीं शताब्दी में विधिशास्त्र की एक पुस्तक आई जिसने यूरोपीय विचार में एक परिवर्तन का सूत्रपात किया। यह हेनरी मेन (Henry James Sumner Maine) की 'प्राचीन विधि' (Ancient law)  थी। आज उस पुस्तक की अनेक बातों को अर्द्घ-सत्य कहकर चुनौती दी गयी है। पर कभी उसके वाक्य कि 'विधि का विकास स्थिति (या पद) (status) से संविदा (contract) की ओर हुआ  है' ने यूरोपीय चिंतन को नई दिशा दी थी। शायद स्वत्व की अपूर्ण कल्पना ही 'स्टेटस' शब्द में प्रकट हुई।  पर भारत की प्राचीन विधि में कोरा 'स्टेटस' कोई अधिकार प्रदान नहीं करता। उसके साथ स्वत्व जुड़ा होने के कारण अनायास ही वे प्राप्त होते हैं।

जिस संस्कृति ने ऎसी उदात्त भावना उपजाई और प्रारंभ से जहाँ विधि में प्राणिमात्र के स्वत्व को  स्थान दिया और उसे अहरणीय बताया, उसी में मानव जाति का और फिर इस ग्रह का भविष्य सुरक्षित है। यह मानव को प्राणिमात्र से और फिर प्रकृति से जोड़ता है।


इस चिट्ठी के चित्र विकिपीडिया के सौजन्य से हैं।
०१ - कुरितियां क्यों बनी
०२ - प्रथम विधि प्रणेता - मनु
०३ - मनु स्मृति और बाद में जोड़े गये श्लोक
०४ - समता और इसका सही अर्थ
०५ - सभ्यता का एक मापदंड वहाँ नारी की दशा है
०६ - अन्य देशों में मानवाधिकार और स्वत्व
०७ - भारतीय विधि ने दास प्रथा कभी नहीं मानी
०८-  विधि का विकास स्थिति (या पद) से संविदा की ओर हुआ  है

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपका यह लेख सदा की तरह बहुत रोचक एवं विचारणीय है।

    किन्तु हेनरी के इस कथन "विधि का विकास स्थिति (या पद) से संविदा की ओर हुआ है" का अर्थ थोड़ा और विस्तार से बताते तो अधिक समझ में आता।

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  2. "विधि का विकास स्थिति (या पद) से संविदा की ओर हुआ है" विषय अपने में बड़ा है। इसके बारे में अलग से चर्चा करना ठीक होगा।

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