कैसी भी सभ्यता हो, उसमें विचार सदा एक- से नहीं रहते। वे समय के अनुसार और बदलती आवश्यकताओं के कारण परिवर्तित होते हैं। इसलिए उस समय से चले हुए सभ्यता के सूत्र को परिवर्तित तथा विषमता भेद कर देखना पड़ता है, जिससे उस धारा की प्रतीति पा सकें । इस ढंग से देखें कि कैसे सारस्वत सभ्यता ने संसार की अनेक सभ्यताओं को प्रभावित किया। भारत में सभ्यता की जो स्तर आया, वह आर्यों की अनेक शाखाओं, जिन्होंने यूरोप, पश्चिमी एशिया या भूमध्य सागर के देशों को अपना लीला-स्थल बनाया, से उच्च एवं भिन्न था। भारत की शांति की नगर-ग्रामयुक्त आवासीय सभ्यता से देसरे आर्यों के घुमक्कड़ जीवन की तुलना अर्थहीन है। पता नहीं कि यूरोपीय बर्बर, आर्यवंशी कहलाने वाले, कबीलों के घुमंतू जीवन की तथा भारत की आवासीय सभ्यता ने जिन्हें महिमामंडित किया, इन दोनों समाजों की तुलना में समान व्यवहार की अपेक्षा करने और समकक्ष रखकर देखने का बुद्घिभ्रंश कैसे उत्पन्न हुआ।
कालचक्र: सभ्यता की कहानी
भौतिक जगत और मानव
मानव का आदि देश
सभ्यता की प्रथम किरणें एवं दंतकथाऍं
अवतारों की कथा
स्मृतिकार और समाज रचना
भौतिक जगत और मानव
मानव का आदि देश
सभ्यता की प्रथम किरणें एवं दंतकथाऍं
अवतारों की कथा
स्मृतिकार और समाज रचना
प्राचीन सभ्यताएँ और साम्राज्य
०१ - सभ्यताएँ और साम्राज्य
०२ - सभ्यता का आदि देश
०३ - सारस्वती नदी व प्राचीनतम सभ्यता
०४ - सारस्वत सभ्यता
०५ - सारस्वत सभ्यता का अवसान
आर्यों की जन्म स्थली भारत वर्ष ही है, न की यूरोप, और देखा जाये तो पुरे यूरोप, अरब एंड पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इराक, इरान मैं रहने वाले आर्य ही हैं.
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