पंचांग संभवतया सबसे प्राचीन विज्ञान है। यहॉं अनेक कल्पनाओं की कलई चढ़ने के बावजूद प्राकृतिक नियमों ने मानव को तर्कशुद्ध चिंतन के लिए बाध्य किया। पर मानव का मन फलित ज्योतिष की भूलभुलैया में भटकता रहा है। काल-गति ऐसी विचित्र है कि उसका अंतिम दार्शनिक या वैज्ञानिक विश्लेषण आज भी संभव नहीं। अनजाने भविष्य को पढ़ने के आकर्षण ने मानव कमजोरियों का उपयोग कर अंधविश्वासों को भी जन्म दिया।
मनुष्य समाज के रूप में रह सके, यह जीवन-दर्शन ‘धर्म’ कहलाया। प्राकृतिक तथ्यों और घटनाओं में मानव भाव आरोपित कर जहॉं प्रकृति पर प्रभुत्व की ओर उसने पग उठाया वहॉं आपसी व्यवहार के विधि निषेध ‘धर्म’ ने अपनाए। इन विचारों ने पूजा-वस्तुओं, टोटका, मंत्र-तंत्र और अंधविश्वासों के साथ एक व्यावहारिक ताना-बाना तैयार किया। इसे भारतीय परिभाषा में ‘पंथ’ या ‘संप्रदाय’ कहते हैं। ‘धर्म’ वह है जिसके द्वारा समाज की धारणा हो। अंग्रेजी का ‘रिलिजन’ (religion) शब्द लैटिन के ‘रेलिगेयर’ (religare) से बना है, जिसका अर्थ है ‘बॉंधना’। अंग्रेजी के इस शब्द के लिए हिंदी में ‘संप्रदाय’ या ‘पंथ’ अधिक उपयुक्त है। ‘रिलीजन’ से अर्थ उन विश्वासों, रीति-रिवाजों से है जो संप्रदाय या पंथ के अनुयायियों को एक साथ रखते हैं, भावना के एक सूत्र में बॉधते हैं। इसका मूल लक्षण एक प्रकार की उपासना-पद्धति है। पर धर्म वे मूलभूत विचार तथा विश्वास हैं जिनके बिना सभ्य समाज संभव न था। एक पंथ संबंधी है तो दूसरा सार्विक। यह बुनियादी अंतर न समझने और पंथ के दुराग्रह के कारण अनेक झगड़े हुए हैं और इसमें ‘हिंदु धर्म’ के प्रति हुई गलतफहमियों या जानबूझकर फैलाई गई भ्रांतियों का उत्स है।
फ्रायड ने धर्म के मनोभावों का एक नास्तिक (atheistic) अथवा अज्ञेयवादी (agnostic) निरूपण अपने ग्रंथ ‘एक माया का भविष्य’ (Future of an Illusion) में किया है। पर इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि पंथ और संप्रदाय ने मानव को सभ्य बनाने का कार्य किया। इन्होंने संसार का कुछ सीमा तक मानवीकरण किया और सभ्यता का एक विस्तृत ढॉंचा खड़ा किया। पर पंथ या संप्रदाय का आग्रह और स्वार्थ कभी-कभी मानव प्रगति में बेड़ी बनकर आया, झगड़े उत्पन्न किए और स्वतंत्र विचारों की राह में विभीषिका बनकर खड़ा हुआ। यह सभी सामी पंथों के लिए सत्य है।
कालचक्र: सभ्यता की कहानी
०१- समय का पैमाना०२- समय का पैमाने पर मानव जीवन का उदय
०३- सभ्यता का दोहरा कार्य
०४- पाषाण युग
०५- उत्तर- पाषाण युग
०६- जल प्लावन
०७- धातु युग
०८- राजा उदयन की राजधानी - कौशांबी
०९- पुराने कबीले मातृप्रधान थे
१०- जादू, टोने टुटके से - विज्ञान के पथ पर
११- रिलिजन के लिये हिन्दी में उपयुक्त शब्द - संप्रदाय या पंथ