फ्रांस के एक संग्रहालय में रखी सिकंदर की अर्धप्रतिमा का चित्र
हखामनीषी वंश के शासन में, यूनान के सिकंदर (अलक्षेंद्र : Alexander) ने विक्रम संवत् पूर्व तीसरी सदी में, विश्व-विजय के स्वप्न सँजोए, भयंकर लूटपाट का अपना आक्रमण अभियान आरंभ किया। वह मिस्त्र को तथा पश्चिमी प्रदेश को रौंदकर ईरान की राजधानी परसीपुलिस ( Persepolis : पर्सु की नगरी) जा पहुँचा। वहाँ के लोगों ने यह देखकर कि यूनान में लोहारों की नगरी मखदूनिया (Macedonia) का राजपुत्र नए अच्छे अस्त्र बनाकर लाया है, जिससे लोहा लेना कठिन होगा, एक अफवाह फैलायी कि उस नगरी को वरदान है कि जब तक उससे १५ मील दूर एक मंदिर में रखी गाँठ (Gordian knot) आक्रमणकारी खोल नहीं देता तब तक उस नगर का बाल भी बाँका न होगा। यह सुनकर सिंकदर की सेना ने आक्रमण करने से इनकार कर दिया। सिकंदर तब उस मंदिर में गया। देखा कि कोई छोर पकड़ पाना कठिन है; गाँठ खोलने में कई सप्ताह लगेंगे। परसीपुलिस को आशा थी कि तब तक भारत से आधुनिकतम अस्त्र-शस्त्र तथा सहायता आ पहुँचेगी। पर सिकंदर ने कटार से गाँठ के दो टुकड़े कर दिए और दोनों छोर अपनी सेना को दिखा दिए कि
'मैंने गाँठ खोल दी है, अब युद्घ करो।'
सिकंदर गांठ को काटते हुऐ
सिकंदर की सेना ने एकाएक हमला किया और वहाँ की ईंट से ईंट बजा दी। भयानक नर-संहार हुआ, जिसमें स्त्री-पुरूष सभी मारे गए। सारा नगर जला दिया गया। कहते हैं कि अकेले सुसा नगरी की लूट में सिकंदर को ७,३९० मन सोना और ३२,८४५ मन चाँदी मिली। सर्वत्र लूटपाट के बाद उसने ईरानी कला के बहुमूल्य नमूने भी नष्ट कर दिए। नगरों के भग्नावशेष आज भी भयंकर त्रासदी की याद दिलाते हैं। महानाश उपस्थित करने के बाद घोड़ों पर सवार सिकंदर की सेना द्रुत गति से भारत के दरवाजे पर दस्तक देने पहुँच गयी।
इस चिट्ठी के चित्र - विकिपीडिया के सौजन्य से
कालचक्र: सभ्यता की कहानी
भौतिक जगत और मानव
मानव का आदि देश
सभ्यता की प्रथम किरणें एवं दंतकथाऍं
अवतारों की कथा
स्मृतिकार और समाज रचना
भौतिक जगत और मानव
मानव का आदि देश
सभ्यता की प्रथम किरणें एवं दंतकथाऍं
अवतारों की कथा
स्मृतिकार और समाज रचना
प्राचीन सभ्यताएँ और साम्राज्य
०९ - बैबिलोनिया१० - कस्सी व मितन्नी आर्य
११ - असुर जाति
१२ - आर्यान (ईरान)
१३ - ईरान और अलक्षेन्द्र (सिकन्दर)
very informative article indeed !
जवाब देंहटाएंvery informative
जवाब देंहटाएं