गौतम बुद्ध अपने पांच साथियों के साथ। इनके साथ पहके संघ की स्थापना हुई। यह चित्र विकिपीडिया के सौजन्य से है।
बुद्घ का एक संस्मरण कहा जाता है। मगध के राजा ने जानना चाहा कि वृज्जि, लिच्छवि और विदेह गणराज्यों पर आक्रमण किया जा सकता है क्या ? तब उसके दूत को उत्तर न देकर उन्होंने अपने पट्ट शिष्य से कहा,
'तुमने सुना, आनंद! बिज्जी (वृज्जि) सब लोगों की निरंतर सभाएँ करते रहते हैं ?'आनंद के 'हाँ' कहने पर तथागत ने दूत को सुनाकर सात प्रश्न वृज्जि गणराज्य के विधान के बारे में पूछे और निष्कर्ष निकाला - जब तक
- बिज्जी (वृज्जि) सभी लोगों की बारंबार सभाएँ करते रहते हैं;
- वे सामंजस्य में एक-दूसरे से मिलते हैं, मेल बढ़ाते हैं और राजकार्य मतैक्य जुटाकर करते हैं;
- वे ऎसे नियम नहीं लागू करते जो पहले से स्थापित नहीं हैं, या परंपराओं को रद्द नहीं करते हैं तथा वृज्जि की प्राचीन संस्थाओं के अनुसार कार्य करते हैं;
- वे वृज्जि गुरूजनों का सम्मान करते हैं, उन्हें श्रद्घा और आदर की दृष्टि से देखते हैं, उनकी बातों को ध्यान से सुनते हैं;
- उनके यहाँ कोई स्त्री तथा बालिका बलपूर्वक निरूद्घ नहीं की जाती, न उसका अपहरण होता है- अर्थात जहाँ कानून का शासन है, न कि जोर-जबरदस्ती का;
- वे वृज्जि -चैत्यों (देवालय, यज्ञशाला, समाधिस्थल आदि पवित्र स्थान) को पूज्य समझते हैं और उचित सम्मान देते हैं- अर्थात वे प्रस्थापित धर्म का पालन करते हैं;
- जब तक वे अपने अंदर अर्हतों का संरक्षण, सहायता तथा सहारे का प्रबंध करते हैं
यह सुनकर दूत ने कहा,
'वृज्जि पर मगध का राजा विजय प्राप्त नहीं कर सकता।'गणराज्य जब तक संघ-जीवन के नियमों का पालन करते थे, अपराजेय थे। इन गणराज्यों के पास कोई सेना न थी, उनके नागरिक अस्त्र-शस्त्र की विद्या में निपुण थे। जनता ही उनकी सेना थी। परंतु उनके अजेय होने का रहस्य इसमें न था। वह था उनके बारंबार मिलने तथा सहमति से निर्णय लेने की क्षमता में, उनके लोक-जीवन के अनुशासन में। और सबसे बढ़कर उस संस्कृति में, जो उन्होंने उपजाई।
कालचक्र: सभ्यता की कहानी
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१० - प्राचीन भारत में, संविधान, समिति, और सभा
११ - प्राचीन भारत में समिति, सभा और गणतंत्र में सम्बन्ध
१२ बुद्ध और भिक्खु संघ
बहुत ही सुन्दर पोस्ट. कास हमारे गणतंत्र में भी वाही कुछ होता. आभार.
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