भूमध्य सागर की बाकी सभ्यताएँ {एजियन सभ्यताएँ (Aegean civilizations)} साम्राज्यों से ग्रथित हैं और उनके साये में पली हैं। केवल अपवादस्वरूप यूनान का एक छोटा कालखंड रहा है जब गणतंत्र के प्रयोग हुए और कला, विज्ञान, साहित्य एवं दर्शन, सभी क्षेत्रों में यवन सभ्यता की अभूतपूर्व प्रगति हुई। भूमध्य सागर में 'क्रीति' (Crete: ग्रीक Kriti) नामक एक द्वीप है। वहाँ नाविकों की सागरीय सभ्यता विकसित हुयी। उसे उनकी एक प्राचीन राजधानी 'नोसोस' (Knossos) के राजा अथवा देवता मिनोस (Minos) के नाम पर मिनोयन (Minoan) सभ्यता कहा जाता है। यह शांतिप्रिय सभ्यता थी। उनके नगर किलेबंदी अथवा खाई से रक्षित थे। आज उनके खंडहर भवनों व नगर-नियोजन के मूक साक्षी हैं। उनके भित्तिचित्र (fresco) एवं मृद्भांड साक्षी हैं उनके कला- प्रेम के, जिनमें चित्रित हैं पशु-पक्षी, मानव तथा बहुतायत से फूल (विशेषकर कुमुदिनी)। चित्र-लिपि से प्रारंभ कर उन्होंने अक्षर-लिपि का विकास किया। पर उनकी वह लिपि आज तक पढ़ी नहीं जा सकी। यदि कोई सभ्यता बीच में ही काल के गर्त में विलीन हो जाती है और आधुनिक युग तक किसी प्रकार का सातत्य या सूत्र नहीं पकड़ में आता तो उनकी लिपि पढ़ना कठिन हो जाता है। इनके चित्रों में नारी आकृति इस प्रकार दिखायी गयी है जैसे वे किसी देवी की पूजा करते हों। पूरा भूमध्य सागर उनकी नौयात्रा का क्षेत्र था; जिसमें स्पेन से लेकर पूर्वी तट तक इन साहसिक नाविकों ने व्यापार किया।
राजकुमारी सिला (scylla), मिनोस के प्रेमपाश में बंधती हुई
पर एक दिन अचानक उनकी यह सभ्यता और उनकी कीर्ति के भव्य नगर तथा प्रासाद नष्ट हो गए। इसके बारे में दो मत हैं। प्लातोन के अनुसार मिनोयन सभ्यता का विनाश भयंकर जल-प्रलय के कारण हुआ। एक विशाल, लगभग ३०० मीटर ऊँची सागर की महातरंग आई और उसने इन नगरों, उसके भवनों को उजाड़ दिया। यह इतना अचानक हुआ कि वहाँ के लोग सँभल नहीं पाए और समूल सभ्यता नष्ट हो गयी। दूसरा मत है कि एक भयानक भूकंप से विनाश हुआ। कुछ अवशेष मिलते हैं कि क्रीति निवासियों ने पुन: भूकंप से रक्षित भवन (लकड़ी का ढाँचा खड़ा कर) बनाने का यत्न किया। ये दोनों प्राकृतिक विपत्तियाँ अचानक एक साथ भी आ सकती थीं।
नोसोस में मिले मिनोयन सभ्यता का सबसे प्रसिद्ध भित्तिचित्र
इन मिनोयन लोगों का स्थान लिया युद्घप्रिय माइकीनी (Mycenaeans) ने। पहले भी मिनोयनों ने माइकीनी सागर-तट पर अपने व्यापारिक संस्थान बनाने के यत्न किए थे, पर अधिक सफलता न मिल सकी। 'माइकीनी' नाम दक्षिण ग्रीस के पेलोपनीस (Peloponnese) प्रांत के प्रमुख नगर माइकीने (Mycenae) पर पड़ा; परंतु बाद में इससे अर्थ लिया जाने लगा 'सोने का रक्तपात (खून-खराबे) से भरा राज्य।' इन्होंने अनेक बातों में मिनोयन सभ्यता को, उनकी कला, स्थापत्य तथा नौयात्रा-विज्ञान आदि को अपनाया। अनेक प्रयासों के बाद भी वे क्रीति को जीत न सके थे, यह प्राकृतिक आपदा के बाद संभव हुआ। इनके अवशेष आज भी एजियन सागर के असंख्य द्वीपों में तथा यूनान प्रायद्वीप में मिलते हैं। हेनरिख श्लीमान ने माइकीनी राजाओं के मकबरे खोज निकाले, जहाँ शवों के मुख पर सोने के मुखौटे चढ़े थे और रत्न आदि रखे हुए थे। पर शायद ट्राय तथा अन्य गृहयुद्घों में उलझने से और उत्तर-पश्चिम के सीमांत आक्रमणों से यह सभ्यता नष्ट हो गयी।
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सभ्यता की प्रथम किरणें एवं दंतकथाऍं
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स्मृतिकार और समाज रचना
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प्राचीन सभ्यताएँ और साम्राज्य
०९ - बैबिलोनिया१० - कस्सी व मितन्नी आर्य
११ - असुर जाति
१२ - आर्यान (ईरान)
१३ - ईरान और अलक्षेन्द्र (सिकन्दर)
१४ - अलक्षेन्द्र और भारत
१५ - भारत से उत्तर-पश्चिम के व्यापारिक मार्ग
१६ - भूमध्य सागरीय सभ्यताएँ
१७ - मिस्र सभ्यता का मूल्यांकन
१८ - पुलस्तिन् के यहूदी
१९ - यहूदी और बौद्ध मत
२० - जाति संहार के बाद इस्रायल का पुनर्निर्माण
२१ - एजियन सभ्यताएँ व सम्राज्य
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